उसकी आँखों मे नमी थी
उसकी खामोशी में दॅद का एहसास था
होठों पर कोई अनकही दासतान थी
दिल में गम का तूफान था
हर गुजरते पल के साथ
उसकी सांसे बोझल हो रही थी
एक पल ऎसा लगा जैसे
रूह भी उसकी रो रही थी
जाने कौन सा दॅद दिल में समाकर
वो निकला था मुLकुराने के लिए
खुद बाती बुझाकर जैसे निकला हो
अंधेरा मिटाने के लिए
बात कया है उससे पूछूँ
इतनी मुझमें हिEमत न थी
बात कया है वो बता दे
ऐसी उसकी फितरत न थी
उसकी खामोशी मुझे
उससे दूर कर रही थी
अब तो कदमों की आहट भी
शोर कर रही थी
जाने कया बात थी
वो खुद से लड़ रहा था
इतनी भीड़ में भी जैसे
तनहा ही चल रहा था
सUनाटे के कोहरे में
हम दोनों खो चुके थे
इतने करीब होकर भी
अजनबी हो चुके थे़
....contributed by V.S.
"The question isn't who is going to let me,it's who is going to stop me."
Friday, November 17, 2006
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2 comments:
Brilliant lines. Just touches your heart. Keep up the good work girl. Looking for more posts from you.
oye....you people are doing a really good job....hic!
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